इंदौरा सरकार का आदेश है सरकारी व निजी अस्पतालों में बेड की
कमी नही होने चाहिए। संकर्गिक गरीजो को उचित इलाज तय शुल्क में किया
जाए। आदेशों के उल्लयन पा जाने पर दंडनात्मक कार्यवाही की जाए। सुनने मैं बहुत अच्छा लगता है। लेकिन ज्या सरकार की गाइड लाइन का पालन कर
है निजी सरकारी अस्पताल जिला प्रशासन ने कोरोना काल में पिछले
इस कितने अस्पतालों की जांच की कितनी पर कार्यवाही की? मौज
दर हे अस्पतालों में भी होने से।
अरबिंदो अस्पताल एमटीएच अस्पताल की सबसे ज्यादा शिकायतें
देखने में साक्षी है। ज्यादातर मामलों में इस वर्ष भी इन दोनों ही अस्पतालों
के प्रति संकर्मिी व उनके परिजनों की शिकायतें लगातार सामने ही है।
देर रात अस्पताल प्रबंधन दुवय परिजनी में इंजेक्शन व दवाई तत्काल अवस्था
करने का बोला जाता है। पबगए परिजन यत भटकने के बाद भी दवाई का
शाम नही कर पाते कि खेल शुरू होता है मेलिंग का इसी रज
ज्यादातर मौत के मामले भी इन दोनों अस्पतालों में ही ज्यादा सामने
है। ज्यादातर मामलो में नीव के रिश्तेवर की शिकायत है कि कोबडीक
साहाने गरीज से बद्रिय बात की कोई मिलने पहुंचे तो अस्पताल प्रबंधन ने
कहा कि आपके पेस्टीज से ही मौत हो चुकी है। सैकड़ों मौत हो चुकी है।
जिनके रिसदारों को आज तक नहीं मालूम कि मौत कैसे हुई। और ये अव्यवस्था
आज भी जारी है। मौके से मिलने पर पाबंदी है और अपने परिवार के सदस्य सनम है चलो मान लिया लेकिन बावजूद इसके की हर मयतालमे कैमरे लगे
हुए है। ज्मा जिला प्रशासन मी के नजदीकी किसी भी एक रिस्तेदार के
लिए ये आयवस्था नही कर सकता कि वो अपने शरीर के तार लाइव अपने
पर बैठे देख सके? सरकार जिला प्रशासन रोग महामारी से निपटने
बहुत अच्छा कार्य कर रहे लेकिन महामारी में भी कुछ सफेदयेश
अपनी तिजोरी भरने का खेल खेलने से बात नही आ रहे है इनपर अंकुश
केबरसकीन लगाकर भी मरीजो के परिजनों में विकास बढ़ा सकता है और
ये व्यवस्था बन्द करनी चाहिए।